दवाइयां हर एक मरीज पर एक जैसा असर क्यों नहीं करती?
सवाल: अधिकतर मरीज अर्थात पेशेंट उपचार शुरू करने से पहले यह सवाल अवश्य पूछते हैं कि दवाई कितने समय तक चलेगी?
जवाब: मेरा स्पष्ट कहना है कि होम्योपैथी तथा देशी जड़ी-बूटियों से इलाज करने पर इस सवाल का सुनिश्चित जवाब देना आसान नहीं होता है। कारण बेशक हम बाहर से एक जैसे दिखते हैं, लेकिन हर एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है। क्योंकि हम सबमें सामान्यत: अनेकों भिन्नताएं होती हैं:-
- . मनोविकार।
- . शारीरिक श्रम।
- . वंशानुगत भिन्नता।
- . यौन तृप्ति-अतृप्ति।
- . दाम्पत्य सुख-कलह।
- . अप्राकृतिक यौनक्रियाएं।
- . रोग कितने वर्ष पुराना है?
- . मांसाहारी-शाकाहारी खानपान।
- . अतृप्त महत्वाकांक्षाओं की पीड़ा।
- . यौन रोगों को दबाने का इतिहास।
- . बचपन में पोषण-कुपोषण का प्रभाव।
- . भोजन करने और सोने-जागने की आदतें।
- . कमजोर या सशक्त रोग प्रतिरोधक क्षमता।
- . चर्म रोगों के होने और उन्हें दबाने का इतिहास।
- . माता-पिता के वंशजों में वंशानुगत रोगों का इतिहास।
- . शारीरिक एवं मानसिक कार्य करने या नहीं करने की आदतें।
- . नापंसद जीवनसाथी के साथ अनचाहा जीवन जीने की मजबूरियां।
- . वायु, ध्वनि और खाद्य प्रदूषण के स्तर में भिन्नता और इनका कुप्रभाव।
- . गर्भावस्था के दौरान मां का किन्हीं बीमारियों से या तनावों से पीड़ित रहना।
- . शैशवकाल की बीमारियों के उपचार हेतु उपयोग की गयी दवाइयों के दुष्प्रभाव।
- . जीवन में चिंता, विषाद, तनाव, घुटन, एकाकीपन, जुदाई और वियोग का इतिहास।
इत्यादि।
अत: जब भी अपने पेशे के प्रति समर्पित और पेशेंट के प्रति संवेदनशील किसी वैद्य या होम्योपैथ से इलाज करवायें तो जल्दबाजी नहीं करें, बल्कि धैर्य पूर्वक नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करें। यदि बीच-बीच में दवाइयों को छोडेंगे या बार-बार चिकित्सक बदलेंगे तो बीमारी गंभीर रूप धारण करके लाइलाज हो सकती है।
नोट: गारण्टी के प्रलोभन में स्वास्थ्य को बर्बाद नहीं करें।
प्रसव सुरक्षा चक्र अपनायें और गर्भिर्णी को ऑपरेशन से बचायें।
लेखन दिनांक: 25 मई, 2019
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